Slow Learning बच्चे, bacche ka dimag padhai me nahi lagta kya karu?, baccha jaldi kuch yaad nahi kar pata, baccha padhai me kamjor hai, bacche ko kuch yaad nahi rahta.
Slow Learning दरअसल , किसी तरह की बीमारी नहीं है . यह शब्द उन बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है , जो सब कुछ सिख व समझ सकते हैं , पर अपनी उम्र के सामान्य बच्चों के मुकाबले थोड़ी देर से . ऐसे बच्चों को कुछ भी सिखने के लिए ज्यादा time और practice की जरुरत होती है .
किसी बच्चे के Slow Learner होने का मतलब यह नहीं होता कि वह सीखना या पढ़ना नहीं चाहता . थोड़ी मदद मिलने पर ये भी normal बच्चों की तरह सिख सकते हैं . वह school counselor की help से अच्छी performance देने में capable बन सकते हैं , लेकिन class में जहाँ 35-40 बच्चे होते हैं , वहां class teacher के लिए एक बच्चे पर खास ध्यान देना possible नहीं हो पाता .
ज्यादातर Slow बच्चे लोगों के साथ घुलने-मिलने में असहज महसूस करते हैं . यह situation सिर्फ low IQ से ही नहीं , बल्कि अनुभवहीनता , खराब health और बोलने में दिक्कतों की वजह से उत्पन्न होती है .
ये लोगों से बातचीत करना चाहते हिं , लेकिन चूंकि इस बारे पहल करने में थोड़ी हिचकते हैं , तो अपने में ही सिमटते चले जाते हैं और इस तरह एक चक्र में फंस कर कम आत्मबल के शिकार हो जाते हैं . अपने व्यक्तिगत संबंधो में भी ये बच्चे पूरी प्रिपक्क्वता नहीं दिखा पाते . दोस्ती के सीधे-साधे नियमो को पूरा करने में भी ये असमर्थ होते हैं .
जैसे - एक दुसरे के साथ चीजे share करना , बारी-बारी से कोई काम करना आदि . इस कारण दुसरे बच्चे इनसे कतराने लगते हैं और अपने साथ नहीं खेलाते , क्योंकि इनके सामने खेल के नियमों को बार-बार दोहराना पड़ता है , जिसकी वजह से इन्हें खीज होती है .
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बच्चा अपने school का काम पूरा नहीं कर पता . उसे हर काम में help की जरुरत होती है .
Slow Learner बच्चे तय समय में काम पूरा नहीं कर पाते . वे planing बनाकर काम नही कर सकते .
इन बच्चों में concentration की कमी होती है . इन्हें एक बार में कई काम कह दिया जाए , तो ये उलझ जाते हैं और काम करने की speed और भी slow हो जाती है .
इनमे तर्क क्षमता की भी कमी होती है . कोई भी नई चीज सिखने के लिए बहुत ज्यादा practice की जरुरत होती है .
इन बच्चों के साथ teacher को बहुत धेर्य से काम लेने की जरुरत होती है . अगर वह इन बच्चों को नहीं समझ पाती , तो इनका विकाश बाधित हो सकता है .
बच्चे के प्रति teacher के नकारात्मक रवैये से उसके आत्मविश्वास में कमी आती है , उसे अपनी बात समझना और भी मुश्किल हो जाता है और बच्चा जिद्द करने लगता है .
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बच्चे को सकारात्मक रूप से प्रोत्साहित करें , ताकि उनमे मेहनत और बेहतर प्रयास करने के लिए आत्मविश्वास उत्पन्न हो .
बच्चे को दुसरे बच्चों से मिलने-जुलने एवं बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें , ताकि वह अपनी उम्र के बच्चों से भी कुछ सिख सके .
इन बच्चों को एक बार में एक ही चीज सिखाएं , वह भी बेहद आसन तरीके व सरल शब्दों में . जो चीजें हमउम्र बच्चे आसानी से समझ लेते हैं , वही समझने में इन्हें थोड़ा समय लगता है .
अपनी बात समझाने के लिए आप flow chart का सहारा ले सकते हैं जिसमे points के मध्यम से आप किसी पाठ को सरल बना सकते हैं , practice के लिए इन्हें objective type पसंद है .
कोई भी सवाल पूछते समय बच्चे के साथ आप भी आप सवाल पढ़े , ताकि उसे वह ठीक से समझ आ जाए . बार-बार लिखने के लिए जोर डालने के बजाय बोल कर समझाने पर भी जोर दें .
समय से काम करने की आदत डालने के लिए काम का time level बनवाएँ . एक दो बार आप time टेबल के हिसाब से उसका काम पूरा करने में मदद करेंगे , तो बच्चे का हौसला बढेगा और वह निर्धारित समय में काम पूरा करना सीखेंगे .
Class में पढ़ा हुआ समझ में न आने की वजह से बच्चा पढने से जी चुराते हैं . उसे चीजों को example दे द्वारा समझाएं . जैसे science में यदि पेड़ पौधों के बारे में पढाया जा रहा है , तो उसे park में ले जाकर पेड़-पौधे दिखाएं और उनके विभिन्न भागों के बारे में समझाँयें . जोड़-घटाव सिखने के लिए आप toffee , pencil और खिलौने का सहारा ले सकते हैं .
बच्चे की रूचि को पहचाने . उनकी hobby को विशिष्टता बनाएं , ताकि बड़ा होने पर वह उसी में अपना carrier बना सके . प्रतियोगिताएं में भाग लेने के लिए भी उसे प्रोत्शाहित करें . थोड़ी से भी सफलता उसका प्रोत्साहन बढ़ाएगी .
Study का stress दूर करने के लिए उसे किसी और activities में भाग लेने के लिए भो प्रोत्साहित करें . किसी दुसरे activities जैसे - drawing , dance , music , swimming में क्षमता हासिल करने पर उसका आत्मविश्वास बढ़ता है .
कुछ अच्छा करें और कोई सफलता हासिल होने पर बच्चे कोई गिफ्ट भी दें . जैसे- chocolate , park में झुला झुलाना , कोई छोटा सा toy दिला देना आदि .
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Slow Learning बच्चों ही handwriting अक्सर खराब होती है . इसके 2 कारण होते हैं . एक तो इन बच्चों में eye-hand coordination की कमी होती है और दूसरा blackboard पर focus करने में परेशानी होती है . इसके अलावा इन बच्चों की हाथों और उँगलियों की मांसपेसियां थोड़ी कमजोर होती है . ऐसी situation में occupational therapy helpful होती है .
Occupational therapist बच्चों को muscle building exercise कराता है . पेरेंट्स भी घर में थोड़ी मेहनत करें , तो बच्चे की काफी मदद कर सकते हैं . चार line वाली copy में बच्चों को सह समझ नहीं आता की उन्हें किस line के कौन सा अक्षर लिखना सुरु करना है . Parents अगर copy में बिच की 2 lines को highlight कर दें , तो बच्चे को आसानी से याद रह जायेगा कि उसे इन दो lines के बिच में या ऊपर से ही कोई अक्षर लिखना सुरु करना है .
इन बच्चों को cursive writing करने में दिक्कत आती है , इसके लिए parents को बच्चे पर जोर नहीं डालना चाहिए नियमित practice से उसकी handwriting में सुधार आने लगेगा .
Slow Learning दरअसल , किसी तरह की बीमारी नहीं है . यह शब्द उन बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है , जो सब कुछ सिख व समझ सकते हैं , पर अपनी उम्र के सामान्य बच्चों के मुकाबले थोड़ी देर से . ऐसे बच्चों को कुछ भी सिखने के लिए ज्यादा time और practice की जरुरत होती है .
किसी बच्चे के Slow Learner होने का मतलब यह नहीं होता कि वह सीखना या पढ़ना नहीं चाहता . थोड़ी मदद मिलने पर ये भी normal बच्चों की तरह सिख सकते हैं . वह school counselor की help से अच्छी performance देने में capable बन सकते हैं , लेकिन class में जहाँ 35-40 बच्चे होते हैं , वहां class teacher के लिए एक बच्चे पर खास ध्यान देना possible नहीं हो पाता .
ज्यादातर Slow बच्चे लोगों के साथ घुलने-मिलने में असहज महसूस करते हैं . यह situation सिर्फ low IQ से ही नहीं , बल्कि अनुभवहीनता , खराब health और बोलने में दिक्कतों की वजह से उत्पन्न होती है .
ये लोगों से बातचीत करना चाहते हिं , लेकिन चूंकि इस बारे पहल करने में थोड़ी हिचकते हैं , तो अपने में ही सिमटते चले जाते हैं और इस तरह एक चक्र में फंस कर कम आत्मबल के शिकार हो जाते हैं . अपने व्यक्तिगत संबंधो में भी ये बच्चे पूरी प्रिपक्क्वता नहीं दिखा पाते . दोस्ती के सीधे-साधे नियमो को पूरा करने में भी ये असमर्थ होते हैं .
जैसे - एक दुसरे के साथ चीजे share करना , बारी-बारी से कोई काम करना आदि . इस कारण दुसरे बच्चे इनसे कतराने लगते हैं और अपने साथ नहीं खेलाते , क्योंकि इनके सामने खेल के नियमों को बार-बार दोहराना पड़ता है , जिसकी वजह से इन्हें खीज होती है .
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Slow Learning बच्चे, bacche ka dimag padhai me nahi lagta kya karu?, baccha jaldi kuch yaad nahi kar pata, baccha padhai me kamjor hai, bacche ko kuch yaad nahi rahta.
Slow Learning बच्चे की पहचान
बच्चा अपने school का काम पूरा नहीं कर पता . उसे हर काम में help की जरुरत होती है .
Slow Learner बच्चे तय समय में काम पूरा नहीं कर पाते . वे planing बनाकर काम नही कर सकते .
इन बच्चों में concentration की कमी होती है . इन्हें एक बार में कई काम कह दिया जाए , तो ये उलझ जाते हैं और काम करने की speed और भी slow हो जाती है .
इनमे तर्क क्षमता की भी कमी होती है . कोई भी नई चीज सिखने के लिए बहुत ज्यादा practice की जरुरत होती है .
इन बच्चों के साथ teacher को बहुत धेर्य से काम लेने की जरुरत होती है . अगर वह इन बच्चों को नहीं समझ पाती , तो इनका विकाश बाधित हो सकता है .
बच्चे के प्रति teacher के नकारात्मक रवैये से उसके आत्मविश्वास में कमी आती है , उसे अपनी बात समझना और भी मुश्किल हो जाता है और बच्चा जिद्द करने लगता है .
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Slow Learning बच्चे, bacche ka dimag padhai me nahi lagta kya karu?, baccha jaldi kuch yaad nahi kar pata, baccha padhai me kamjor hai, bacche ko kuch yaad nahi rahta.
इस situation से बचने के लिए निचे लिखे बातों पर गौर करें -
बच्चे को सकारात्मक रूप से प्रोत्साहित करें , ताकि उनमे मेहनत और बेहतर प्रयास करने के लिए आत्मविश्वास उत्पन्न हो .
बच्चे को दुसरे बच्चों से मिलने-जुलने एवं बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें , ताकि वह अपनी उम्र के बच्चों से भी कुछ सिख सके .
इन बच्चों को एक बार में एक ही चीज सिखाएं , वह भी बेहद आसन तरीके व सरल शब्दों में . जो चीजें हमउम्र बच्चे आसानी से समझ लेते हैं , वही समझने में इन्हें थोड़ा समय लगता है .
अपनी बात समझाने के लिए आप flow chart का सहारा ले सकते हैं जिसमे points के मध्यम से आप किसी पाठ को सरल बना सकते हैं , practice के लिए इन्हें objective type पसंद है .
कोई भी सवाल पूछते समय बच्चे के साथ आप भी आप सवाल पढ़े , ताकि उसे वह ठीक से समझ आ जाए . बार-बार लिखने के लिए जोर डालने के बजाय बोल कर समझाने पर भी जोर दें .
समय से काम करने की आदत डालने के लिए काम का time level बनवाएँ . एक दो बार आप time टेबल के हिसाब से उसका काम पूरा करने में मदद करेंगे , तो बच्चे का हौसला बढेगा और वह निर्धारित समय में काम पूरा करना सीखेंगे .
Class में पढ़ा हुआ समझ में न आने की वजह से बच्चा पढने से जी चुराते हैं . उसे चीजों को example दे द्वारा समझाएं . जैसे science में यदि पेड़ पौधों के बारे में पढाया जा रहा है , तो उसे park में ले जाकर पेड़-पौधे दिखाएं और उनके विभिन्न भागों के बारे में समझाँयें . जोड़-घटाव सिखने के लिए आप toffee , pencil और खिलौने का सहारा ले सकते हैं .
बच्चे की रूचि को पहचाने . उनकी hobby को विशिष्टता बनाएं , ताकि बड़ा होने पर वह उसी में अपना carrier बना सके . प्रतियोगिताएं में भाग लेने के लिए भी उसे प्रोत्शाहित करें . थोड़ी से भी सफलता उसका प्रोत्साहन बढ़ाएगी .
Study का stress दूर करने के लिए उसे किसी और activities में भाग लेने के लिए भो प्रोत्साहित करें . किसी दुसरे activities जैसे - drawing , dance , music , swimming में क्षमता हासिल करने पर उसका आत्मविश्वास बढ़ता है .
कुछ अच्छा करें और कोई सफलता हासिल होने पर बच्चे कोई गिफ्ट भी दें . जैसे- chocolate , park में झुला झुलाना , कोई छोटा सा toy दिला देना आदि .
इस article को पूरा पढ़ने के लिये Next Page पर जाये.
Slow Learning बच्चे, bacche ka dimag padhai me nahi lagta kya karu?, baccha jaldi kuch yaad nahi kar pata, baccha padhai me kamjor hai, bacche ko kuch yaad nahi rahta.
Handwriting पर भी गौर करें .
Slow Learning बच्चों ही handwriting अक्सर खराब होती है . इसके 2 कारण होते हैं . एक तो इन बच्चों में eye-hand coordination की कमी होती है और दूसरा blackboard पर focus करने में परेशानी होती है . इसके अलावा इन बच्चों की हाथों और उँगलियों की मांसपेसियां थोड़ी कमजोर होती है . ऐसी situation में occupational therapy helpful होती है .
Occupational therapist बच्चों को muscle building exercise कराता है . पेरेंट्स भी घर में थोड़ी मेहनत करें , तो बच्चे की काफी मदद कर सकते हैं . चार line वाली copy में बच्चों को सह समझ नहीं आता की उन्हें किस line के कौन सा अक्षर लिखना सुरु करना है . Parents अगर copy में बिच की 2 lines को highlight कर दें , तो बच्चे को आसानी से याद रह जायेगा कि उसे इन दो lines के बिच में या ऊपर से ही कोई अक्षर लिखना सुरु करना है .
इन बच्चों को cursive writing करने में दिक्कत आती है , इसके लिए parents को बच्चे पर जोर नहीं डालना चाहिए नियमित practice से उसकी handwriting में सुधार आने लगेगा .
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