कलम और तलवार के साधारण अर्थ से सभी परिचित हिं, लेकिन वास्तव में ये दोनों दो महान शक्तियों के प्रतिक हैं. कलम बुद्धिबल की सूचक है और विचारक्रांति की समर्थक है जब कि तलवार बाहुबल को सूचित करती है और हिंसक क्रांति की प्रतिक है.
आज की दुनिया में तलवार या भौतिक बल का बहुत महत्त्व है. आज जिनके पास अधिक बल है, वे कमजोर लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं. तोपों और बमों की आवाज से सारा संसार भयभीत हिया. इस परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तलवार अर्थात बाहुबल या भौतिक शक्ति की आवश्यकता पड़ती है. वास्तव में आज संस्कृति और स्वदेश की रक्षा के लिए भौतिक शक्ति का सहारा अनिवार्य हो गया है.
फिर भी तलवार से - भौतिक शक्ति से - संसार का सदा कल्याण नहीं हो सकता. तलवार ने ही हरे-भरे नगरों को सुनसान खंडहरों में बदल दिया है; रक्त की नदियाँ बहाई हैं. भय, द्वेष और कुशंका ने लोगों के दिलों में तूफान खड़ा कर दिया है. तलवार ने मासूम बच्चों और बेसहारा औरतों पर अनगिनत अत्याचार किए हैं, सभ्यता और संस्कृति की धाराओं को उलट दिया है. मनुष्य को पशु बना दिया है.
दुनिया में ज्ञान का जो अपार भंडार सुरक्षित रह सका है, वह कलम के चमत्कार का ही परिणाम है. कलम ने व्यास और वाल्मीकि, कालिदास और भवभूति, शेक्सपियर आदि महामानवों को अमर बना दिया है. महाभारत, रामायण, शांतुकल, हैमलेट, गीतांजलि आदि का सृजन कलम द्वारा ही हुआ है. कलम ने ही ज्ञान का दीप जलाकर दुनिया में उजाला फैलाया है. कलम में वह शक्ति है जो तोप, तलवार, बंदूक और बम में नहीं पाई जाती. कलम ने ही शासन-प्रबंध में बड़ी-बड़ी उथल-पुथल मचाई है. हमारे स्वतंत्रता-आंदोलन को जननी कलम ही थी.
देश के कल्याण के लिए कलम और तलवार दोनों की आवश्यकता होती है. अकेली तलवार महुष्य को निरंकुश बना देती है. अकेली कलम मनुष्य को प्राय: कमजोर और कोरा आदर्शवादी बना देती है. तलवार मनुष्य के शरीर को स्पर्श करती है, आत्मा को नहीं. पर कलम मनुष्य के अंतस्तल को स्पर्श करती है, उसकी आत्मा की गहराई तक पहुंच जाती है.
देशकाल के अनुसार कलम और तलवार दोनों की उपयोगिता है. कलम और तलवार का संयुक्त बल ही राष्ट्र का वास्तविक बल होता है.
आज की दुनिया में तलवार या भौतिक बल का बहुत महत्त्व है. आज जिनके पास अधिक बल है, वे कमजोर लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं. तोपों और बमों की आवाज से सारा संसार भयभीत हिया. इस परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तलवार अर्थात बाहुबल या भौतिक शक्ति की आवश्यकता पड़ती है. वास्तव में आज संस्कृति और स्वदेश की रक्षा के लिए भौतिक शक्ति का सहारा अनिवार्य हो गया है.
फिर भी तलवार से - भौतिक शक्ति से - संसार का सदा कल्याण नहीं हो सकता. तलवार ने ही हरे-भरे नगरों को सुनसान खंडहरों में बदल दिया है; रक्त की नदियाँ बहाई हैं. भय, द्वेष और कुशंका ने लोगों के दिलों में तूफान खड़ा कर दिया है. तलवार ने मासूम बच्चों और बेसहारा औरतों पर अनगिनत अत्याचार किए हैं, सभ्यता और संस्कृति की धाराओं को उलट दिया है. मनुष्य को पशु बना दिया है.
दुनिया में ज्ञान का जो अपार भंडार सुरक्षित रह सका है, वह कलम के चमत्कार का ही परिणाम है. कलम ने व्यास और वाल्मीकि, कालिदास और भवभूति, शेक्सपियर आदि महामानवों को अमर बना दिया है. महाभारत, रामायण, शांतुकल, हैमलेट, गीतांजलि आदि का सृजन कलम द्वारा ही हुआ है. कलम ने ही ज्ञान का दीप जलाकर दुनिया में उजाला फैलाया है. कलम में वह शक्ति है जो तोप, तलवार, बंदूक और बम में नहीं पाई जाती. कलम ने ही शासन-प्रबंध में बड़ी-बड़ी उथल-पुथल मचाई है. हमारे स्वतंत्रता-आंदोलन को जननी कलम ही थी.
देश के कल्याण के लिए कलम और तलवार दोनों की आवश्यकता होती है. अकेली तलवार महुष्य को निरंकुश बना देती है. अकेली कलम मनुष्य को प्राय: कमजोर और कोरा आदर्शवादी बना देती है. तलवार मनुष्य के शरीर को स्पर्श करती है, आत्मा को नहीं. पर कलम मनुष्य के अंतस्तल को स्पर्श करती है, उसकी आत्मा की गहराई तक पहुंच जाती है.
देशकाल के अनुसार कलम और तलवार दोनों की उपयोगिता है. कलम और तलवार का संयुक्त बल ही राष्ट्र का वास्तविक बल होता है.
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