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हिंदी पहेलियाँ - Hindi Puzzles [ Collection-1 ]

एक पक्षी ऐसा देखा ,
ताल किनारे रहता था .
मुंह से आग उगलता था ,
दुम से द्रव को पिता था .
उत्तर - दीपक


एक टांग से खड़ा हुआ हूं ,
एक जगह पर अड़ा हुआ हूं .
भरी छाता है मैंने ताना ,
सब जीवों को देता हूं खाना .
उत्तर - पेड़


गोल-गोल चीजें बहुतेरी ,
सर्वश्रेष्ट हूं , मानो मेरी .
इसको तुम समझो न गप ,
मैं रुठुं तो दुनिया ठप .
उत्तर - पहिया


एक टांग पर खाड़ी रहूँ मैं ,
एक जगह पर अड़ी रहूँ मैं .
अंधियारे को दूर भगाऊं ,
धीरे-धीरे , गलती जाऊं .
उत्तर - मोमबत्ती


एक तरुवर का फल है तर ,
पहले नारी , बाद में नर .
वा फल की यह देखो चाल ,
बाहर खाल और भीतर बाल .
उत्तर - भुट्टा


एक नगरी में चौबीस घर ,
दो पास बैठें भर चाव .
उस नगरी का यही स्वभाव ,
कटें-मरें , लगे न घाव .
उत्तर - शतरंज


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काले कपड़े , कड़वी बोली ,
स्वयं चतुर कहलाता है .
पाल पराए बच्चों को वह ,
मुर्ख भी बन जाता है .
उत्तर - कौवा


अगल बगल घास फूस ,
बीच में तबेला .
दिन भर तो भीड़ भाड़ ,
रात में अकेला .
उत्तर - पनघट


देखी ऐसी नार चतुरंगी ,
घर के बाहर निकले नंगी .
जा कोई वाके धार को चाखे ,
वो जीवन की आस ना राखे .
उत्तर - तलवार


लंबा-चौड़ा रूप निराला ,
उजली देह किनारा काला .
जो धोबिन करती है काम ,
उसका भी वही है नाम .
उत्तर - धोती


उसको सूरज कभी न भाय ,
अंधियारे में निकसत प्राय .
ज्यों-ज्यों सौंप ताल को खाय ,
सूखे ताल सौंप मर जाय .
उत्तर - दिया-बाती


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सत्य धर्म का बोझा सहता ,
जितना होता , उतना कहता .
हाथ के आजू-बाजु फैले ,
पांव में रहते हैं दो थेले .
उत्तर - तराजू


उसका पी जब छाती लाय ,
अच्छा-भला काना हो जाय .
डरे शेर भी-सो चिल्लाय ,
जिस पर थूके , वो मर जाय .
उत्तर - बंदूक


एक थाल मोतियों से भरा ,
सब के सिर पर औधा धरा .
जैसे-जैसे थल फिरे ,
मोती उससे एक न गिरे .
उत्तर - तारों भरा आसमान


एक पुरुष का अचरज भेद ,
हाड़-हाड़ में वाके छेद .
मोहि अचंभा आवे ऐसे ,
जीव बसे हैं वामे कैसे .
उत्तर - पिंजड़ा


मुंह काला , पर काम बड़ा है ,
कद छोटा , पर नाम बड़ा है .
मेरे वश में दुनिया सारी ,
रहूँ जेब में सस्ती , प्यारी .
उत्तर - कलम


रौंदे जिसको , उसको काटे ,
कभी बनता हत्यारा .
इसे जेल-फंसी न होती ,
रखे बिना नहीं चारा .
उत्तर - चाकू


कली है , पर काग नहीं ,
लंबी है , पर नाग नहीं .
बल खाती , पर डोर नहीं ,
बांधती है , पर डोर नहीं .
उत्तर - चोटी


ज्यों-ज्यों ये बढ़त है ,
त्यों-त्यों ही घट जाही .
जगत भर का नियम ये ,
केहू मिटा नहीं पाहि .
उत्तर - उम्र

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