Skip to main content

नाम का महत्व कितना जरुरी है ?- Importance Of ' NAME ' , In HINDI




[caption id="" align="aligncenter" width="444"]नाम का महत्व - Importance Of ' NAME ' , In HINDI नाम का महत्व - Importance Of ' NAME ' , In HINDI[/caption]

आज कल के Newly Educated GENTLEMAN कहने लगते हैं कि नाम में क्या धरा है, कहीं मिठाई (sweet) कहने से मुंह थोड़ी ही मीठा हो जाता है ? हम इसे अपने भाईयों से कहेंगे कि जरुर मिठाई के नाम लेने से मुंह नहीं मीठा होता, लेकिन खटाई और खटाईयों में भी ' निम्बू ' का नाम लेने पर तुम्हारा मुंह में क्यों पानी छुटने लगता है. यदि नाम में कोई प्रभाव (impact) नहीं था तो कंठ कूप (salivary glands) ने क्यों पानी छोड़ा और वह कैसे तुम्हारे मुंह तक आया. इसका कारण (reason) है और वही हम आपको निचे समझाते हैं -



तुम्हारा नाम लेके यदि तुम्हे कोई पुकारे तो तुम क्यों बोलने लगते हो. तुम्हारे बाप (father) का नाम लेके यदि कोई गली देने लगे तो तुम्हे क्यों क्रोध (anger) आ जाता है. किसी ऐसी युवती (की जिसे तुम Love करते हो) का नाम लेने पर तुम्हारे रगों में क्यों बजली (current) दौड़ जाती है. महाराणा प्रताप का नाम लेते ही तुम्हारी भुजायें (arms) क्यों फड़कने लगती हैं और क्यों वीर रस में भर जाते हो. श्री मीरा का नाम सुनते हो तुम्हारे ह्रदय सागर में क्यों प्रेम तरंग उठने लगती है इत्यादि ?

सोच और समझो ! यह करिश्मा (magic) नाम ही ने तो दिखाया. और सुनो -


मैंने गुलाब के फुल (rose) का नाम लिया और तुम्हारे अन्दर गुलाब का नक्शा (picture) खींच गया. गाय (cow) का नाम लेने पर गाय, घोड़े (horse) का नाम लेने पर घोड़ा, वृक्ष (tree) का नाम लेने पर वृक्ष, चिड़िया (bird) का नाम लेने पर चिड़िया की सूरत (face) तुम्हारी आँखों के सम्मुख (front) नाचने लगती है या नहीं ? यह सब नाम ही का प्रभाव (impact) है. इसी प्रकार भगवान (god) का नाम लेने पर उनका स्वरुप तुम्हारे नेत्रों (eye) में आ सकता है.


जिस व्यावहारिक जगत (practical world) में तुम रह रहे हो उसमे दो ही चीजें ' नाम ' और रूप व्यापक (comprehensive) होके हर समय अपना काम करते रहते हैं. तुम्हारे अन्दर भी यह है और दुसरो में भी. तुम चाहे जितनी कोशिश (try) करो इनके असर से बच नहीं सकते.


नाम के साथ रूप है और रूप के साथ नाम. एक ही ओर झुकते ही दूसरा खुद आ जाता है और यही रूप अपना गुण (quality) देके मनुष्य को अच्छा या बुरा बनाता है. अच्छे या संत पुरुष (good being) के चिंतन (thinking) से शुभ गुण मनुष्य में आते है और बुरे और दुष्टाचारी के ऊपर ख्याल करते रहने से दुष्ट वासनाओं (lust) का उदय होता है, मनुष्य दोषी बनता है.


वेदों का प्रमाण (proof) है - ' तंयथा उपासते त देव भवति ' अर्थात जो जिसका ध्यान रखेगा वैसा ही बनेगा. जब ऐसा नियम संसार में चल रहा है तो भगवान का नाम लेने से भगवान गुण मनुष्य में नहीं आयेंगे, ऐसा हो नहीं सकता.



भगवान ' सत ' (truth) है वह प्रकाश स्वरुप है उनमें अपार ज्ञान (knowledge) है, वह दयामय (merciful) है, उनके चिंतन (thinking) से यह गुण (quality) मनुष्य में आ सकते हैं, और यह चिंतन नाम लेने पर ही हो सकता है. भगवान के निरंतर (continuous) ध्यान से मनुष्य में तेज (intelligence) आता है उनमें दया (mercy) और प्रेम (devotion) का संचार होता है. उसका ज्ञान (knowledge) बढ़ता है. वह मिथ्या आडंबर को त्याग के सत्पुरुष (good man) बनता है. उसके अशुभ (bad work) कर्म छुट जाते हैं और वह कमल के फुल (lotus) की तरह जगत में रहता हुआ जगत के बंधन से मुक्त (free) हो जाता है. यह सब नाम ही रहता है. नाम न लेते तो रूप आता और न यह गुण आते.

वैदिक भाषा में ' नाम ' को ही ' शब्द ' (word) कहते है. उपनिषदों ने शब्द को ' ब्रह्म ' कहा है. संसार की स्थिति (situation( भी इसी के आधार (base) पर है. जब शब्द का अन्त (end) होगा इस विश्व (world) का भी अन्त हो जायेगा. शब्द को पकड़ के महापुरुष सबसे ऊँचे आत्मिक स्थान (place) ' ध्रुपद ' तक पहुंचे थे. रूप से प्रथम शब्द प्रकट हुआ था. इसी को प्रणव कहा गया है.


अनेक नाम इसी प्रणव के सूचक (indicator) है. लक्ष्य (goal) ठीक होना चाहिए, नाम कोई भी लो, इससे कोई विघ्न (disturbance) नहीं पड़ता. मनुष्य नाम के सहारे वहीँ पहुँच सकता है कि जो उसका अंतिम उद्देश्य (ultimate objective) है और जहाँ से आगे कुछ भी नहीं है.नाम को मनुष्य सुन-सुना के भी ले सकता है. पुस्तकों (books) में भी अपने लिये कोई नाम छांट सकता है, परन्तु (but) जो लाभ गुरु के बताये हुए नाम में मिलता है वह इस प्रकार नहीं मिलता. इसका भी कारण है, हम यहाँ थोड़ा-सा इस पर प्रकाश डालते हैं -






गुरु शब्द से हमारा तात्पर्य (meaning) उन पेशेवर (professional) लोगों से नहीं है कि जिन्होंने स्वार्थ (selfishness) के लिए चेला बनाने और कान फूंकने का रोजगार कर रखा है. गुरु वास्तविक (actual) में उस महापुरुष को कहते हैं कि जिसके अन्दर आत्मबल (will power) हो, जो दया और प्रेम का भंडार हो, जिसके रूहानी मकामात (आत्मिक चक्र ) खुले हुए हों, जिसकी शक्ति जाग्रत हो चुकी हो और पूर्ण अनुभवी ज्ञान (knowledge) प्राप्त कर चूका हो.

ऐसा संत जब गुरु बनके उपदेश (advice) देता है, कोई विधि (method) बतलाता है तो उसके साथ ही साथ कुछ शक्ति (power) भी देता है. उसकी प्रेममयी धारें मंत्र के साथ ही साथ शिष्य (disciple) में प्रवेश (enter) होती है और उनकी ठोकर से शिष्य के दबे हुए संस्कार जाग्रत (awake) हो उठते हैं. अंधकार ह्रदय से हटता है और ज्ञान का उज्ज्वल प्रकाश उसमें जगमगाने लगता है. आगे शिष्य का काम रहता है कि वह अपने प्रयत्न (effort) से उसकी रक्षा करे. गुरु के जलाये हुए दीपक को बुझाने न दे. बताई हुई क्रिया से उसमें तेल बत्ती पहुंचाता रहे ताकि एक न एक दिन वह अधिक तेज से प्रज्वलित कर अंतिम ध्येय (goal) तक पहुँचा दे.

 

मनुष्य जब किसी वस्तु (object) का नाम लेता है तो नाम के साथ ही साथ उसके रूप का नक्शा (image) नाम लेने वाले के ह्रदय (heart) में खिंचता है, फिर जिस मनुष्य को वह उस नाम को सुनाता है उसमें उसका focus आता है और वैसे ही शकले (face) उसके दिल में बन जाती हैं.

महापुरुष के ह्रदय पट पर मैल (dirt) नहीं होते इसलिए सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु का भी रूप उसमें साफ आ जाता है, यहाँ तक कि भगवान का रूप भी जो अति सूक्ष्म है पूर्ण रूप से उनके अंतर दिखाई देता है. जब वह शिष्य को उपदेश देते हैं तो अपनी शक्ति द्वारा शिष्य के मेलों (dirt) को हो हटाकर उस रूप को उसके अन्दर प्रवेशकर (inject) देते है.

इस प्रकार नाम के साथ रूप जल्दी मिल जाता है और यही रूप कल्याण करता है खाली नाम जपते रहने से कुछ नहीं होता. जाप के समय रूप अवश्य होना चाहिए. ' नारायण ' नाम हम तुम सभी ले सकते हैं परन्तु ' अजामिल ' को पूर्ण गुरु द्वारा मिला हुआ नाम उसका उद्धार कर गया.


Comments

Popular posts from this blog

संस्कार और उनसे मुक्ति - Sacrifice and liberation from them, in Hindi

[caption id="" align="aligncenter" width="497"] संस्कार और उनसे मुक्ति - Sacrifice and liberation from them, in Hindi [/caption] गुरु नानक (Guru Nanak) साहब के जीवन (life) का एक प्रसंग (story) है. एक बार गुरु नानक साहब अपने शिष्यों (disciples) के साथ कहीं यात्रा (travelling) पर जा रहे थे. रास्ते में सब लोगों ने देखा कि एक दुकान (shop) के आगे अनाज का ढेर पड़ा हुआ है. एक बकरा (goat) उनमें से कुछ खाने की कोशिश (try) कर रहा है और एक लड़का उस बकरे को डंडे मारकर भगा रहा है. नानक साहब यह देख कर हस (smiling) पड़े. थोड़ी दूर जाने पर उनके शिष्यों (disciples) में से एक बोला कि भगवन (god) मैंने तो सुना था कि संत (sage) दूसरों के दुख में दुखी होते हैं परन्तु (but) आप तो बकरे को पिटता (beaten) देखकर हँसे (laughed), इसमें कोई राज (secret) होगा. कृपया समझायें. नानक साहब बोले कि देखो वह जो बकरा था किसी समय (time) इस दुकान (shop) का मालिक (owner) था. इस लड़के का पिता (father) था जो इस समय पिट रहा है अपने पुत्र (son) के हाथ. फिर उन्होंने बताया कि देखो मनुष्य (human) जो कर्म करता...

मन में निर्मलता कैसे लाये ? - How to bring clarity in mind?

[caption id="" align="aligncenter" width="457"] मन की निर्मलता - Clarity of mind, in Hindi [/caption] निर्मल ह्रदय (clean heart) खुले आकाश (sky) की भांति (like) पारदर्शी (transparent) होता है. उसमे छिपने-छिपाने की कोई बात नहीं होती है. निर्मल ह्रदय (clean heart) वाले का अंतरंग (inner) ऐसा अन्त:पुर होता है जहाँ सबकी सहज (spontaneous) पहुँच होती है. माता-पिता का दिल पुत्र (son) के लिए और परम पिता का दिल सबके लिये ऐसा ही होता है. संतजन (sage) ईश्वर के अवतार (incarnation) होता है, उनका दिल-दरबार सबके लिये खुला होता है. वे यह निर्मलता (cleanness) का प्रसाद सबको बांटते फिरते है. उनके सत्संग से यह निर्मलता अनायास (suddenly) प्राप्त होती है. निर्मलता से जीव में निर्भयता (fearlessness) आती है, आत्मा विश्वास (self confidence) आता है. बंधनों से मुक्ति (release) मिलता है. यह सत्संग है. यहाँ हर जीव माया के प्रबल प्रवाह (strong floe) में बहा जा रहा है. न चाहते हुए भी भूलें (forget) होती रहती है. कभी गुरु में अश्रद्धा (faithless), कभी ईश्वर में अविश्वास (disbelief), कभी...

कब , कहाँ , कैसे होता है प्यार ? - When, where, how love is happen? In Hindi

कब , कहाँ , कैसे होता है प्यार ? - When, where, how love is happen? In Hindi, pyar kaise hota hai?, kaise hota hai pyar?, pyar kab hota hai? पहले प्यार का पहला feeling, कुछ को तो पता ही नहीं चलता कि उनको प्यार हो गया है. ज्यादातर पहले प्यार कच्ची उम्र या teenage में ही हो जाता है, कभी-कभी लोग अपने प्यार का इजहार भी नहीं कर पाते और हाँ पहले प्यार को जिंदगी भर याद रखते है, कोई तो इसे first crush भी कहते है, आइये जानते है क्यों, कब और कहा होता है first love.... 1. कहते है कि first love हमेशा दिल में ताजा रहता है चाहे इजहार हुआ हो या न हुआ हो. 2. ज्यादातर school के दिनों में, college की शुरूवाती दिनों में या फिर teenage में होता है पहला प्यार. 3. बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अपने पहले प्यार के साथ जिंदगी बिताने के मौका मिलता है. कहने का मतलब है कि उनका पहला प्यार success होता है. इस article को पूरा पढ़ने के लिये Next Page पर जाये.. कब , कहाँ , कैसे होता है प्यार ? - When, where, how love is happen? In Hindi, pyar kaise hota hai?, kaise hota hai pyar?, pyar kab hota hai? 4. अक्सर कम उम्र...