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क्या आपका बच्चा वास्तव में अच्छा है ? - Your child is really good ? Parenting Tips In Hindi

क्या आपका बच्चा वास्तव में अच्छा है ? - Your child is really good ? Parenting Tips In Hindi, jane apne bacche ke bare me, kaise pata kare ki baccha accha hai ya bura?

मता-पिता का दिल हमेशा अपने बच्चों के प्रति अच्छा ही सोचता है चाहे बच्चा कितनी भी सरारत करें , माता-पिता अपने बच्चों पर कभी दोष नहीं देते . पुरानी कहावत है कि अपना बच्चा हर किसी को अच्छा लगता है . क्योंकि बच्चा आपका है इसलिए उसकी अशिष्टता भी आपकी शिष्टता ही नजर आएगी .

लिकिन question तो ये है कि दुसरे लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं . आप जानते हैं बच्चे की शिष्टता एवं अशिष्टता की मुख्य पहचान क्या है ? किस आधार पर आप उसे अच्छा बच्चा या बुरा बच्चा कहेंगे ?

इसका आधार होगा उसकी भाषा , उसकी भाषा-शेली और बात-चित . जी हाँ कहा जाता है कि अगर आप किसी व्यक्ति से कुछ देर बातें करेंगे तो उसके विषय में बहुत कुछ जान लेंगे कि वो व्यक्ति कितना शिक्षित है , कितना योग्य है , ये उसके मस्तिष्क पर नहीं लिखा होता , केवल उसकी बातों से ही जाना जाता है .

मान लीजिए कोई व्यक्ति आपसे मिलने आया है . वह दरवाजे पर खड़ा दस्तक दे रहा है और आपका बच्चा दरवाजा खोलते ही question करता है -

किससे मिलना है ?
Varma जी से..
बाहर गए है...
कब लौटेंगे ?
मुझे नहीं पता .
कहते ही बच्चा दरवाजा बंद कर देता है . यह भी हो सकता है कि वह अपनी माँ को पुकारते हुए उससे कहे - ' Mumy , देखो कोई बुढा आया है , कह दो , पापा घर पे नहीं हैं .

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क्या आप ऐसे बच्चे को शिष्ट और सभ्य कहेंगे ?

क्या उस व्यक्ति के मन पर उसकी अच्छी छवि अंकित होगी ? हो सकता है किसी दिन वह Varma जी से कह बैठे - ' आपका बच्चा अशिष्ट और असभ्य है . आपने उसे इतना भी नहीं सिखाया कि बड़ों से किस तरह बात किया जाता है . '
एक अन्य बच्चा भी है .

दरवाजे पर दस्तक होती है . वह दरवाजा खोलता है और अगले ही क्षण उसके हाथ अभिवादन की मुद्रा में जुड़ जाते हैं . देखते ही मन प्रसन्न हो जाता है और पूछता है -
बेटे , क्या आपके पापा घर पे हैं ?
नहीं Uncle , पापा तो अभी थोड़ी देर पहले ही बाहर गए हैं .
कब लौटेंगे ?
लगभग 1 घंटे बाद लौटेंगे .
कहना Mishra जी आए थे .
नमस्ते uncle .

Mishra जी लौट आते है . उनके होंठों पर कई पलों तक मुस्कराहट बनी रहती है और वह देर तक उसी बच्चे के बारे में सोचते रहते है .

इस example में आपने देखा कि दोनों बच्चों के communication लगभग एक जैसे हैं , फिर भी उनमें कितना अंतर है . एक बच्चा की भाषा अशिष्ट है और दुसरे की शिष्टतापूर्वक है .
शिष्ट एवं सभ्य बच्चे हर किसी को अच्छे लगते है . ऐसे बच्चे को सभी like करते है . सभी उसकी प्रसंशा करते हैं और उनसे प्रभावित होते हैं . ऐसे बच्चे जिससे भी मिलते हैं , उसी पर अपनी छाप छोड़ आते हैं .

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यूं तो सभी माता-पिता चाहते है कि उसनके बच्चे शिष्टाचार संबंधी नियमों का पालन करें और सभ्य बने . लेकिन इसका उत्तरदायित्व वे बच्चों के teachers पर छोड़ देते हैं . मैंने ऐसे कई माता-पिता देखें है , जो बच्चे की अशिष्टता पर उनके teachers पर दोष देते हैं . और कहते हैं- ' क्या तुम्हारी teacher ने तुम्हे ये भी नहीं बताया कि बड़ों से किस तरह बात-चित की जाती है . क्या करते हो तुम school में जाकर ? '

ऐसे माता-पिता भूल जाते हैं की बच्चों का ज्यादा समय school में नहीं , अपने घर में बीतता है . ऐसा नहीं कि बच्चों को school में जाकर शिष्टाचार के नियम न बताये जाते हों किन्तु उसका मन तो अपनी books में उलझा रहता है . उसे तो किसी प्रकार अच्छे numbers से pass होना होता है . ऐसे में वह शिष्टाचार के नियमों को याद रखे भी तो कैसे ?

अपने बच्चों को शिष्टाचार की शिक्षा तो खुद माता-पिता को देनी चाहिए वे उनसे बतायें कि जब हम किसी से बात करें तो हमारी भाषा कितनी म्रदु , शिष्ट एवं विनम्र होनी चाहिए .

पर इसके लिए उनका खुद भी शिष्ट एवं म्रदुभाषी होना आवश्यक है . उनका खुद क आचरण इतना अच्छा हो कि बच्चा खुद ही उसकी नक़ल करे . और बच्चे सदेव अपने माता-पिता का नक़ल करते है .
बच्चे अपने माता-पिता से ही बात-चित सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करते हैं , इस सम्बन्ध में एक example मुझे पिछले दिनों देखने को मिला .
मैं अपने एक अमीर मित्र से मिलने गया था . वहां पहुंचकर देखा , उनका 5 वर्षीय बेटा घर के एक बुजुर्ग नौकर को डाट रहा था और बात-बात पर उसे गालियाँ भी दे रहा था . उसकी भाषा अत्यंत गन्दी थी .
नूकर चुप-चाप सुन रहा था . उसमे इतना साहस नहीं था कि मालिक के बेटे को कुछ कह सके .

मुझे ये सब बुरा लगा . मैंने बच्चे से कहा - ' तुम्हे नौकर के प्रति ऐसे गंदे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए . वैसे भी आयु में ये तुम्हारे दादा जी के समान है . बड़ों का हमेसा आदर करना चाहिए .
बच्चे का उत्तर था - ' लेकिन अंकल , पापा तो कहते है कि नौकरों को डांटना बहुत जरुरी होता है . बिना डांटे और गालियाँ खाए ये लोग कोई काम ही नहीं करते . '

मेरे विचार से इसमें इस बच्चे की कोई गलती नहीं थी ' . पिता ने उसे शिक्षा ही ऐसी दी थी . मुझे याद है मेरा दोस्त जब नौकरों से बात करते तो खुद भी ऐसे अशिष्ट भाषा का प्रयोग करते थे . मैं समझता हूं - ऐसे अशिष्ट बच्चे भले ही बड़े होकर अपने पिता की भांति धनवान बन जायें , लेकिन वे अच्छे इन्सान कभी भी नहीं बन सकते .
इसलिए यदि आप चाहते है कि future में आपके बच्चे अच्छे इन्सान बने , व्यवहार कुशल बने और जीवन पे हर खेत्र में सफलता प्राप्त करें तो उन्हें शिष्टाचार की शिक्षा अवश्य दीजिए . उन्हें बताइए कि जब भी वे किसी से बातें करे तो वे उन्हें किन शब्दों में संबोधित करे और उनकी भाषा कैसी हो . बच्चे के व्यक्तिव विकाश के लिए उन्हें वार्तालाप सम्बंधित ज्ञान देना अत्यंत आवश्यक है . लेकिन बच्चों को ऐसी शिक्षा देने से पहले अपने बारे में भी सोचिये और देखिए कि आप खुद भी कितने शिष्ट और सभ्य हैं और दूसरों के प्रति कैसे भाषा का प्रयोग करते है .

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