अपना गुस्सा बच्चों पर न उतारें - Not float your anger on children Parenting Tips in Hindi, kabhi bhi apne baccho par apna gussa na utare..
आज के इस युग में ऐसे बहुत कम व्यक्ति हैं ,जो stress free life जीते हैं . अन्यथा जिसे देखिए वही problems से घिरा है . और ये problems ही तो होती है जो इंसान को stressful रखती हैं . लेकिन यह कहना गलत होगा कि आपके problems के करण पैदा हुई गस्से को अपने बच्चों के ऊपर उतारें . आप अपने काम से लौटते हैं . ठीक है , थके हारे होते हैं . न जाने कितनी problems से जूझे हैं आप पुरे दिन .
लेकिन आपके नन्हे मुन्ने , आपके प्यारे बच्चे .... वे तो आप से प्यार-दुलार की आशा लगाए बैठे हैं . जबकि आपका behavior होता है उनकी आशाओं के विपरीत .
बच्चे अपने होंठो पर smile और आँखों में प्रसन्नता की चमक लिए आपके निकट आते हैं और आप !
' तुम लोग आराम से नहीं बैठ सकते '
' आते ही सर पे सवार हो जाते हो '
' जाओ , बाहर खेलो '
' इतना भी नहीं देखते कि दिन भर files में सर खपाया है . थका-हरा लौटा हूं . '
बच्चे सहम जाते है .
होंठों पर फैली smile गायब हो जाती है .
आँखों में चमकती आशा की ज्योति बुझ जाती है .
बच्चे बाहर चले जाते हैं . अपने ध्यान से देखा उन्हें , उनकी निराशापूर्ण और उदास आँखों में झांकने का प्रयास किया आपने , कभी समझने की कोशिश की उनके दर्द को ?
इसका जवाब होगा - कभी नहीं ?
इसका करण यह है कि आप stress में हैं , problems से घिरे हैं . आप इतने उलझे हुए हैं कि आपको अपनी उलझनों के अलावा और कुछ भी नजर नहीं आता . आप जानते हैं , ऐसा करके आप अपने बच्चों के साथ कितना बड़ा अन्याय कर रहें हैं . आप जानते हैं , आपका ये behavior बच्चे को चिड़चिड़ा बना सकता हैं ?
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अपना गुस्सा बच्चों पर न उतारें - Not float your anger on children Parenting Tips in Hindi, kabhi bhi apne baccho par apna gussa na utare..
आपका बच्चा इस संसार में अभी-अभी आया है .
problems , stress और उलझनें क्या होती हैं , वह नहीं जनता . क्योंकि अभी उसके सामने न तो की problem है , न stress और न ही कोई उलझन है . पूरी तरह तनाव मुक्त (stress free) है वह .
लेकिन यह behavior उसे stressful बना सकत है . वह सोच सकता है कि life में कुछ problem भी होती है और उलझनें भी हो सकती हैं . बच्चा इन सब बातों पर गहराई से सोच सकता है . यह सोच उसकी सफलता में बाधक बन सकती है .
इसलिए अपने आपको बदलिए .
अपनी problems घर से बाहर छोड़िए . निकाल फेंकिये अपने mind से तमाम उलझनों को और अपने बच्चों से स्नेह से मिलिए . उन्हें आपका स्नेह चाहिए , आपका दुलार चाहिए .
हमारे बगल के घर में Sharma जी रहते है , मैंने देखा है Sharma जी जब अपने काम घर लौटते है तो जैसे मानो खुशियों के फुल खिल उठे हों . Sharma जी अपने बच्चों से बड़े ही स्नेह से मिलते है . उनकी कुशलता पूछते हैं और बच्चों के साथ चाय पीते हैं .
आप सोचते हैं , Sharma जी खुश होंगे . कोई उलझन ,कोई problem न होगी उनके सामने . लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है . मैं उन्हें बहुत अच्छी तरह जनता हूं . अनेक problems हैं उनके सामने . हमेसा stress में रहते हैं . पर घर में घुसते ही न जाने उनका stress कहा चला जाता है .
एक दिन मैंने Sharma जी से इस विषय में पूछा - ' आप पुरे दिन busy रहते हैं , आपकी problems मुझसे छिपी नहीं है . लेकिन इतनी problems के बावजूद बच्चों से इतना स्नेह ? '
' एक अच्छे पिता का यही responsibility होता है. '
और आपकी उलझने ? आपकी problems ?
' Problems मेरी हैं , उनका solution मुझे खोजना है . उलझने मेरी हैं और उन्हें केवल मुझे सुलझाना है . बच्चों का मेरी problems और उलझनों से कोई संबंध नहीं . फिर मैं अपने साथ-साथ उन्हें तनावग्रस्त क्यों बनाऊ ? अपनी problems उनके सामने क्यों जाहिर करूँ ?
ठीक कहा था Sharma जी ने .
बच्चों को व्यवहार -कुशल बनने के लिए ये भी जरूरी है कि आप अगर गुस्से में भी हैं , तो आपना गुस्सा बच्चों पर न उतारें और उन्हें भरपूर स्नेह दें .
आज के इस युग में ऐसे बहुत कम व्यक्ति हैं ,जो stress free life जीते हैं . अन्यथा जिसे देखिए वही problems से घिरा है . और ये problems ही तो होती है जो इंसान को stressful रखती हैं . लेकिन यह कहना गलत होगा कि आपके problems के करण पैदा हुई गस्से को अपने बच्चों के ऊपर उतारें . आप अपने काम से लौटते हैं . ठीक है , थके हारे होते हैं . न जाने कितनी problems से जूझे हैं आप पुरे दिन .
लेकिन आपके नन्हे मुन्ने , आपके प्यारे बच्चे .... वे तो आप से प्यार-दुलार की आशा लगाए बैठे हैं . जबकि आपका behavior होता है उनकी आशाओं के विपरीत .
बच्चे अपने होंठो पर smile और आँखों में प्रसन्नता की चमक लिए आपके निकट आते हैं और आप !
' तुम लोग आराम से नहीं बैठ सकते '
' आते ही सर पे सवार हो जाते हो '
' जाओ , बाहर खेलो '
' इतना भी नहीं देखते कि दिन भर files में सर खपाया है . थका-हरा लौटा हूं . '
बच्चे सहम जाते है .
होंठों पर फैली smile गायब हो जाती है .
आँखों में चमकती आशा की ज्योति बुझ जाती है .
बच्चे बाहर चले जाते हैं . अपने ध्यान से देखा उन्हें , उनकी निराशापूर्ण और उदास आँखों में झांकने का प्रयास किया आपने , कभी समझने की कोशिश की उनके दर्द को ?
इसका जवाब होगा - कभी नहीं ?
इसका करण यह है कि आप stress में हैं , problems से घिरे हैं . आप इतने उलझे हुए हैं कि आपको अपनी उलझनों के अलावा और कुछ भी नजर नहीं आता . आप जानते हैं , ऐसा करके आप अपने बच्चों के साथ कितना बड़ा अन्याय कर रहें हैं . आप जानते हैं , आपका ये behavior बच्चे को चिड़चिड़ा बना सकता हैं ?
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अपना गुस्सा बच्चों पर न उतारें - Not float your anger on children Parenting Tips in Hindi, kabhi bhi apne baccho par apna gussa na utare..
जरा सोचिये -
आपका बच्चा इस संसार में अभी-अभी आया है .
problems , stress और उलझनें क्या होती हैं , वह नहीं जनता . क्योंकि अभी उसके सामने न तो की problem है , न stress और न ही कोई उलझन है . पूरी तरह तनाव मुक्त (stress free) है वह .
लेकिन यह behavior उसे stressful बना सकत है . वह सोच सकता है कि life में कुछ problem भी होती है और उलझनें भी हो सकती हैं . बच्चा इन सब बातों पर गहराई से सोच सकता है . यह सोच उसकी सफलता में बाधक बन सकती है .
इसलिए अपने आपको बदलिए .
अपनी problems घर से बाहर छोड़िए . निकाल फेंकिये अपने mind से तमाम उलझनों को और अपने बच्चों से स्नेह से मिलिए . उन्हें आपका स्नेह चाहिए , आपका दुलार चाहिए .
हमारे बगल के घर में Sharma जी रहते है , मैंने देखा है Sharma जी जब अपने काम घर लौटते है तो जैसे मानो खुशियों के फुल खिल उठे हों . Sharma जी अपने बच्चों से बड़े ही स्नेह से मिलते है . उनकी कुशलता पूछते हैं और बच्चों के साथ चाय पीते हैं .
आप सोचते हैं , Sharma जी खुश होंगे . कोई उलझन ,कोई problem न होगी उनके सामने . लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है . मैं उन्हें बहुत अच्छी तरह जनता हूं . अनेक problems हैं उनके सामने . हमेसा stress में रहते हैं . पर घर में घुसते ही न जाने उनका stress कहा चला जाता है .
एक दिन मैंने Sharma जी से इस विषय में पूछा - ' आप पुरे दिन busy रहते हैं , आपकी problems मुझसे छिपी नहीं है . लेकिन इतनी problems के बावजूद बच्चों से इतना स्नेह ? '
' एक अच्छे पिता का यही responsibility होता है. '
और आपकी उलझने ? आपकी problems ?
' Problems मेरी हैं , उनका solution मुझे खोजना है . उलझने मेरी हैं और उन्हें केवल मुझे सुलझाना है . बच्चों का मेरी problems और उलझनों से कोई संबंध नहीं . फिर मैं अपने साथ-साथ उन्हें तनावग्रस्त क्यों बनाऊ ? अपनी problems उनके सामने क्यों जाहिर करूँ ?
ठीक कहा था Sharma जी ने .
बच्चों को व्यवहार -कुशल बनने के लिए ये भी जरूरी है कि आप अगर गुस्से में भी हैं , तो आपना गुस्सा बच्चों पर न उतारें और उन्हें भरपूर स्नेह दें .
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