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1. ईश्वर (god) तो एक शक्ति (power) है, न उसका कोई नाम है न रूप (shape/look) है. जिसने जो नाम रख दिया वही ठीक है .
2. उसको प्राप्त (obtained) करने के लिये गृहस्थी त्याग (family sacrifice) कर जंगल में भटकने की आवश्यकता (requirement) नहीं, वह घर में रहने पर भी प्राप्त (obtain) हो सकता है.
3. अभी तुमने ईश्वर (god) देखा नहीं है, इसलिए उसे प्राप्त (obtain) करने के लिये पहले उससे मिलो जिसने ईश्वर (god) को देखा है. वही तुम्हे ईश्वर (god) के दर्शन करा सकता है.
4. अपने जीवन में आन्तरिक प्रसन्नता (inner happiness) लाओ. यह बहुत बड़ा ईश्वरीय गुण (divine quality) है.
5. ज्ञान (knowledge) में शान्ति (peace) है. उसके लिये आन्तरिक साधन करने होंगे.
6. अधिक समय तुम संसार के कर्मो (work) में लगाओ, थोड़ा समय तुम इधर दो. लेकिन इस समय के लिये तुम संसार को भूल (forgot) जाओ.
7. दो काम साधक (performer) के लिए बहुत ही आवश्यक (important) है - एक तो अपने परिश्रम (hard work) से भोजन कमाना और दूसरा अपने मन (mind) को हर समय काम (work) में लगाये रखना.
8. ज्ञान अनन्त है (knowledge is infinite). यदि एक गुरु (master) उसे पूरा न कर सके तो दुसरे गुरु से प्राप्त करना चाहिए. परन्तु (but) पूर्ण आत्म-ज्ञानी गुरु (total self-aware master) मिल जाने पर दूसरा गुरु नहीं करना चाहिए.
9. दुनिया के सरे काम करो लेकिन सेवक (servant) बनकर, मालिक (owner) बनकर नहीं.
10. संसार में मेहमान (guest) बनकर रहो. यहाँ की हर वस्तु (object) किसी ओर की समझो. मैं और मेरा छोड़ो कर तू और तेरा का पाठ (lesson) सीखो.
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