पहला अफेयर - First affair my love story in Hindi
First affair in hindi ( pehla affair )
Love , affair , first love ... ना जाने कितना कुछ सुना था इस हसीन feeling के बारे में . पर जब भी इस बारे में सुनती थी , तो यही सोचती थी की मेरा पहला affair कब , कहा और कैसे हुआ ? हुआ भी की नहीं ? सोलह साल कब आया और चला गया , पता ही नहीं चला . कितना कुछ सुन रखा था इस सोलहवे सावन के बारे में की दुनिया हसीन लगने लगती है ... मन बिना पंख लगाये आसमान में उड़ने लगता है .....
लेकिन में तो जैसे अछूती , unaware सी ही रही इस साल के बदलावों से ... पापा की हिदायते , माँ की नशिहतो , बड़ी दीदी की प्यार भरी सीखो में खुद को ढालने में व उसमे खरा उतरने में ख्याल कही और गया ही नहीं ..बड़े भैया की निगरानी और छोटे भाई-बहनों के लिए एक आदर्श उपस्थित कर उनकी प्रेरणास्रोत बनने में खुद को इतना संजोये रखा की कब स्कूल से निकल कर विस्वविध्यालय की सीढ़िया चढ़ गई , एहसास ही नहीं हुआ .
विस्वविध्यालय दुसरे सहर में होने के कारण छात्रावास में रहकर स्नातक डीग्री हसील की . हमेसा यही उदेसय रहा की आछे अंको से ही हर परीक्षा पास करने है और कॉलेज व हॉस्टल से मेरे घर तक किसी भी तरह की सिकायत का मोका किसी को भी ना देना . शादी भी पापा की ससंद से कर ली , जिसमे ओपचारिक रुप से एक ही बार मिलना हुआ था .
चट-मंगनी , पट ब्याह को सार्थक करने में पीहर से ससुराल भी आ गई . बड़ी ननद ने फरमान सुनाया की मंगल दोष के कारण कल से गृहस्त जीवन में प्रवेश कर सकोगी , इसलिए आज रात मेरे साथ सोना होगा . मेरा तो दिल धड़कना ही जैसे बंद हो गया था .. नया माहोल और उस पर आते ही इस तरह का फरमान .कमरे में तीन बिस्तर लगे - मेरे , ननद और पति देव का , जिनसे में पूरी तरह से अंजान ही थी . बिस्तर पर लेती तो दीदी ( ननद ) को देखा , वो गहरी नींद की आगोश में जा चुकी थी . लेकिन यहाँ में थी ,
जिसकी आँखों में नींद का नामोनिसन तक नहीं था . एक तरफ अपनों से बिछड़ने का गम था तो दूसरी तरफ यह एहसास की अपनों ने पराया तो कर दिया , पर परयो ने अब तक मुझे अपनाया ही नहीं . बस , यही ख्याल आते ही आंसू आँखों से गिरने लगे और मेरी सिसकिय तेज़ होने लगी .... तभी अचानक किसी के स्पर्श से में चोक गई . उठकर देखा , तो पति देव सामने थे . उन्होंने बड़ी शालीनता से मेरे पास आकर मेरा हाथ अपने हांथो में थाम लिया और होले से मेरे आंसू पोछे .
फिर धीमे स्वर में कहा , प्लीज रो मत , मै हु हमेसा तुम्हारे साथ . में सिर्फ तुम्हारा पति ही नहीं , बल्कि एक दोस्त और एक हमसफ़र भी हु .... अपने मन्न की हर बात तुम मुझसे शेयर कर सकती हो ... वो कहते जा रहे थे और में उनके प्रथम स्पर्श व म्रदु वाड़ी की गरिमा में ऐसी डूबी की पता ही नहीं चला की कब सुबह की लालिमा ने हमारे बीच पसरे अन्धकार के घूँघट को अनावरित कर हमें एक-दुसरे का धुंधला ही सही , पर खुबसूरत अक्श दिखा दिया . संकावो के बदल छट चुके थे . सच्चे विस्वास व प्रेम की डोर बंध चुकी थी और मन ही मन मैं कह उठी - यही तो है मेरा पहला प्यार , पहला अफेयर आज हम अपनी 25 वी सालगिर मना चुके है और पति देव ने उस रत किये हर वादे , हर कसम को पूरी विस्वास व प्यार के साथ निभाया .
लेखिका : अनिप्रिया
First affair in hindi ( pehla affair )
Love , affair , first love ... ना जाने कितना कुछ सुना था इस हसीन feeling के बारे में . पर जब भी इस बारे में सुनती थी , तो यही सोचती थी की मेरा पहला affair कब , कहा और कैसे हुआ ? हुआ भी की नहीं ? सोलह साल कब आया और चला गया , पता ही नहीं चला . कितना कुछ सुन रखा था इस सोलहवे सावन के बारे में की दुनिया हसीन लगने लगती है ... मन बिना पंख लगाये आसमान में उड़ने लगता है .....
लेकिन में तो जैसे अछूती , unaware सी ही रही इस साल के बदलावों से ... पापा की हिदायते , माँ की नशिहतो , बड़ी दीदी की प्यार भरी सीखो में खुद को ढालने में व उसमे खरा उतरने में ख्याल कही और गया ही नहीं ..बड़े भैया की निगरानी और छोटे भाई-बहनों के लिए एक आदर्श उपस्थित कर उनकी प्रेरणास्रोत बनने में खुद को इतना संजोये रखा की कब स्कूल से निकल कर विस्वविध्यालय की सीढ़िया चढ़ गई , एहसास ही नहीं हुआ .
विस्वविध्यालय दुसरे सहर में होने के कारण छात्रावास में रहकर स्नातक डीग्री हसील की . हमेसा यही उदेसय रहा की आछे अंको से ही हर परीक्षा पास करने है और कॉलेज व हॉस्टल से मेरे घर तक किसी भी तरह की सिकायत का मोका किसी को भी ना देना . शादी भी पापा की ससंद से कर ली , जिसमे ओपचारिक रुप से एक ही बार मिलना हुआ था .
चट-मंगनी , पट ब्याह को सार्थक करने में पीहर से ससुराल भी आ गई . बड़ी ननद ने फरमान सुनाया की मंगल दोष के कारण कल से गृहस्त जीवन में प्रवेश कर सकोगी , इसलिए आज रात मेरे साथ सोना होगा . मेरा तो दिल धड़कना ही जैसे बंद हो गया था .. नया माहोल और उस पर आते ही इस तरह का फरमान .कमरे में तीन बिस्तर लगे - मेरे , ननद और पति देव का , जिनसे में पूरी तरह से अंजान ही थी . बिस्तर पर लेती तो दीदी ( ननद ) को देखा , वो गहरी नींद की आगोश में जा चुकी थी . लेकिन यहाँ में थी ,
जिसकी आँखों में नींद का नामोनिसन तक नहीं था . एक तरफ अपनों से बिछड़ने का गम था तो दूसरी तरफ यह एहसास की अपनों ने पराया तो कर दिया , पर परयो ने अब तक मुझे अपनाया ही नहीं . बस , यही ख्याल आते ही आंसू आँखों से गिरने लगे और मेरी सिसकिय तेज़ होने लगी .... तभी अचानक किसी के स्पर्श से में चोक गई . उठकर देखा , तो पति देव सामने थे . उन्होंने बड़ी शालीनता से मेरे पास आकर मेरा हाथ अपने हांथो में थाम लिया और होले से मेरे आंसू पोछे .
फिर धीमे स्वर में कहा , प्लीज रो मत , मै हु हमेसा तुम्हारे साथ . में सिर्फ तुम्हारा पति ही नहीं , बल्कि एक दोस्त और एक हमसफ़र भी हु .... अपने मन्न की हर बात तुम मुझसे शेयर कर सकती हो ... वो कहते जा रहे थे और में उनके प्रथम स्पर्श व म्रदु वाड़ी की गरिमा में ऐसी डूबी की पता ही नहीं चला की कब सुबह की लालिमा ने हमारे बीच पसरे अन्धकार के घूँघट को अनावरित कर हमें एक-दुसरे का धुंधला ही सही , पर खुबसूरत अक्श दिखा दिया . संकावो के बदल छट चुके थे . सच्चे विस्वास व प्रेम की डोर बंध चुकी थी और मन ही मन मैं कह उठी - यही तो है मेरा पहला प्यार , पहला अफेयर आज हम अपनी 25 वी सालगिर मना चुके है और पति देव ने उस रत किये हर वादे , हर कसम को पूरी विस्वास व प्यार के साथ निभाया .
लेखिका : अनिप्रिया
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